Mathura Aur Vrindavan: आध्यात्मिकता, आस्था और भक्ति की यात्रा का आनंद पाने के लिए 2025 में मथुरा और वृंदावन में घूमने जाएँ

मथुरा और वृंदावन (Mathura And Vrindavan) प्रभु श्री कृष्ण के बचपन की लीला स्थली हैं। यहां के कण-कण में श्री कृष्ण जी की उपस्थिति का अनुभव होता है।अगर आप वहां जाने की प्लानिंग कर रहे हैं तो यह स्पष्ट मान लीजिए कि यह भी प्रभु श्री कृष्ण की आप पर कृपा के कारण ही है। तो अब जबकि आपने ऐसा सोच लिया है तो आप अपनी तैयारी शुरू कर दीजिए एक दिव्य धाम में दर्शन, पूजन, और भ्रमण की। हम आप की इस यात्रा के लिए आपको यह बताने के लिए इच्छुक हैं कि आपको मथुरा और वृंदावन (Mathura Aur Vrindavan) में कहाँ-कहाँ और किस-किस मंदिर और स्थान पर जाना चाहिए-

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2025 में मथुरा और वृन्दावन में घूमने की जगह

मथुरा वृन्दावन यात्रा के दौरान आपके घूमने लायक जगह इस प्रकार से हैं जहां आप जा सकते हैं-

  • मथुरा
  • वृंदावन
  • गोवर्धन
  • गोकुल
  • बरसाना और
  • नंदगांव

अब हम अलग-अलग जगह जैसे मथुरा, वृंदावन, गोकुल, गोवर्धन, बरसाना और नंदगांव में कितने जगहों पर जाना चाहिए उसकी चर्चा करेंगे।

मथुरा (Mathura)

आध्यात्मिकता का आनंद पाने के लिए 2025 में मथुरा और वृंदावन में इन जगहों पर घूमने जाएँ

मथुरा (Mathura) में आप श्री कृष्ण जन्म-भूमि मंदिर, द्वारिकाधीश मंदिर, कंस किला, विश्राम घाट, गवर्नमेंट म्युजियम, आदि जगहों पर जा सकते हैं। अब हम मथुरा की इन जगहों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं-

श्री कृष्ण जन्म-भूमि मंदिर मथुरा (Mathura)-

आप को पता ही है कि श्री कृष्ण जी का जन्म राजा कंस की कारागार (जेल) में हुआ था अतः इस मंदिर परिसर में एक कारागार भी है जहां प्रभु श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था। इसके अलावा इस परिसर में अन्य अनेक मंदिर हैं जो कि बहुत ही दिव्य अनुभूति दिलाते हैं। श्री कृष्ण जन्माष्टमी के दिन टी.वी. पर जो कार्यक्रम प्रसारित होता है वह यहीं से ही होता है।

इस मंदिर में प्रवेश से पहले बहुत ही कड़ी सुरक्षा जांच होती है, आपको अपने मोबाइल, बैग आदि सामान अंदर ले जाने की अनुमति नहीं दी जाती है, आपको इसके लिए निर्धारित काउन्टर पर ये सभी सामान जमा करने पड़ते हैं। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि यदि आप इस मंदिर में पहली बार आ रहे हैं तो आप एक गाईड की भी सेवा ले लीजिए वह आपको यहां के बारे में विस्तार से जानकारी देगा, अकेले देखने पर आप ठीक से कुछ समझ नहीं पाएंगे इधर-उधर घूमते रहेंगे।

द्वारकाधीश मंदिर-

इस मंदिर में श्री कृष्ण जी के द्वारिकाधीश स्वरूप की प्रतिमा की पूजा की जाती है। यह मंदिर जन्म-भमि मंदिर से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

विश्राम घाट-

ऐसी मान्यता है कि कंस का वध करने के बाद श्री कृष्ण जी ने इस घाट पर विश्राम किया था इसलिए इस घाट को विश्राम घाट कहा जाता है। इस घाट पर शाम के समय यमुना आरती भी होती है आप इसको भी देख सकते हैं।

कंस किला-

कंस किला श्रीकृष्ण जी के मामा कंस के नाम पर है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में यह पांडवों का विश्राम स्थल था। यह यमुना नदी के तट पर स्थित है और यहां से यमुना और मथुरा का बहुत अच्छा दृश्य दिखाई देता है। कुछ इतिहासकारों के अनुसार इस किले का पुनर्निर्माण और मरम्मत 16 वीं सदी में जयपुर के राजा मानसिंह ने करवाया था और इसके परिसर में राजा जयसिंह ने एक वेधशाला का निर्माण करवाया था जिसके अवशेष अब उपस्थित नहीं हैं।

गवर्नमेंट म्युजियम मथुरा (Government Museum Mathura)-

यदि आपकी रुचि प्राचीन इतिहास, पुरातत्व, कला और संस्कृति में है तो मथुरा का संग्रहालय (Government Museum, Mathura) आपके लिए एक बहुत ही अच्छी जगह है । यहां पर आपको गांधार कला और मथुरा कला से संबंधित बुद्ध की मूर्तियां, कनिष्क की मूर्ति के साथ-साथ अन्य अनेक पुरातात्विक सामग्रियां देखने को मिलती हैं।

ऊपर वर्णित स्थानों के अलावा अन्य अनेक स्थान भी मथुरा में हैं जहाँ यदि आप के पास समय हो तो आप जा सकते हैं जिनमें गायत्री तपोभूमि मथुरा, दुर्वासा ऋषि आश्रम, जयगुरुदेव मंदिर आदि मुख्य स्थल हैं।

वृंदावन (Vrindavan)

चल मन चल वृंदावन धाम, जहाँ विराजे राधा के मन श्री कृष्ण भगवान। जहाँ की सुबह राधा जी हैं, श्याम मयी है शाम।”

प्रेम मंदिर वृंदावन (Prem Mandir Vrindavan)-

प्रेम मंदिर वृंदावन का सबसे महत्वपूर्ण मंदिर है, यह अपेक्षाकृत नया मंदिर है।

यह बहुत ही भव्य, दिव्य और सुन्दर मंदिर है। यह श्रीकृष्ण जी और राधा रानी के पवित्र प्रेम को समर्पित है। इसका निर्माण जगतगुरु श्री कृपालु जी महाराज ने करवाया था। इसकी दीवारों पर राधा रानी, श्रीकृष्ण जी और कृपालु जी महाराज के जीवन की झांकियां अंकित हैं।

इस मंदिर में बहुत ही खूबसूरत फूल-पत्तियाँ, पेड़-पौधे और फव्वारे हैं। ऐसा महसूस होता है कि हम किसी खूबसूरत उपवन में टहल रहे हैं। इस मंदिर में प्रवेश करने पर आपको चारो तरफ श्रीकृष्ण जी की लीलाओं को प्रदर्शित करती हुई सजीव झांकियां दिखाई देती हैं। इन झांकियों में श्रीकृष्ण जी के द्वारा नाग के फन पर नृत्य करते हुए, गीता का उपदेश देते हुए, ग्वाल-बालों के साथ गायों को चराते हुए, गोवर्धन पर्वत को अपनी अंगुली पर उठाए हुए जैसी अनेक झांकियां बनाई गई हैं।

इस मंदिर के परिसर मे एक रेस्टोरेंट भी है, यहां आप स्वादिष्ट भोजन, नास्ता और मिठाइयों का स्वाद ले सकते हैं। शाम के समय रोज यहां म्यूजिकल फाउन्टेन शो चलता है जो कि बहुत ही खूबसूरत होता है।

शाम को इस मंदिर में प्रवेश करने में आपको लगभग आधे घंटे लग जाएंगे इसलिए अगर आपको छह बजे अंदर जाना हो तो आप साढ़े पांच बजे तक गेट पर पहुंच जाएं।

बाके बिहारी मंदिर –

इस मंदिर में आपको तंग गलियों से होकर जाना होगा। इस मंदिर में मंगला आरती नही होती बल्कि श्रृंगार आरती से शुरुआत होती है। क्योंकि यहां श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा की जाती है और बच्चों को सुबह जल्दी नहीं जगाया जाता है इसलिए यहाँ सुबह की मंगला आरती नहीं होती है।

इस मंदिर में भीड़ बहुत रहती है इसलिए आप यहां अपने बच्चों और कीमती सामान ज्वेलरी आदि की सुरक्षा के लिए सतर्क रहें। इस मंदिर में जाने के रास्ते में आपको बंदर बहुत मिलेंगे, वे बंदर कब आपके चश्मे, मोबाइल, टोपी, हैंडपर्श, प्रसाद आदि लेकर भाग जाएंगे आपको पता ही नहीं चलेगा और वे आपको आपका सामान तब वापस करेंगे जब आप उन्हें फ्रूटी,माजा या कोई फल दे देंगे।

निधिवन –

ऐसा माना जाता है कि इस वन में आज भी श्रीकृष्ण जी और राधारानी की रासलीला होती है इसीलिए इस वन (मंदिर) में किसी को भी शाम छह बजे के बाद जाने की अनुमति नहीं है। यह एक छोटा वन है जो चारो तरफ से ऊँची दीवारों से घिरा है। यहां तुलसी के हजारों वृक्ष हैं। निधिवन में अनेक मंदिर हैं- जैसे स्वामी हरिदास जी की समाधि, नित्य रासलीला स्थल का दर्शन, बंशीचोरी राधारानी मंदिर आदि। निधिवन के आसपास भी आपको बन्दरों से सावधान रहना चाहिए यहां भी बंदर आपके मोबाइल, चश्मे आदि छीन सकते हैं।

इस्कॉन मंदिर

यह कृष्ण-बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह बहुत ही खूबसूरत और भव्य मंदिर है। यह आपको विदेशी श्रद्धालु बहुत जादा दिखाई देंगे।

गोविंददेव जी मंदिर

यह मंदिर लाल बलुआ पत्थरों से बना हुआ बहुत ही खूबसूरत मंदिर है। इस मंदिर में आप भगवान श्रीकृष्ण जी के बचपन की झांकियों को देख सकते हैं।

श्री रंगनाथ जी मंदिर

यह मंदिर बहुत बड़े क्षेत्र में फैला है। इसे रंगजी मंदिर के नाम से जाना जाता है।इस मंदिर में श्री कृष्ण जी की मूर्ति दूल्हे के रूप में सजी हुई है।

राधा दामोदर मंदिर

इस मंदिर की स्थापना 1542 ई. में गुरु श्री गोस्वामी ने करवाया था। राधा दामोदर मंदिर वृन्दावन के खूबसूरत मंदिरों में से एक है।

वैष्णो देवी मंदिर

यह मंदिर बहुत ही भव्य, सुंदर और विशाल है, इस मंदिर के बाहर बनी मां दुर्गा की बहुत बड़ी प्रतिमा है जो कई किलोमीटर दूर से भी दिखाई देती है। इस मंदिर में मां दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिमा स्थापित है।

गोपेश्वर महादेव मंदिर

इस मंदिर में आप भगवान शिव का गोपी के रूप में दर्शन करते हैं। इस मंदिर में सुबह शिव जी की लिंग रूप में पूजा की जाती है और शाम के समय गोपेश्वर के रूप में पूजा की जाती है।

पागल बाबा मंदिर

यह बहुत ही बड़ा और खूबसूरत मंदिर है। यह मंदिर दस मंजिल का बहुत ऊंचा मंदिर है। यहां पर भी आप दर्शन के लिए जा सकते हैं।

यमुना नदी, केसी घाट और अन्य घाट

वृन्दावन नगर यमुना नदी के तट पर बसा हुआ है, यमुना नदी और उसके तट श्री कृष्ण जी की लीला के साक्षी रहे हैं। केसी घाट यहां पर एक महत्वपूर्ण घाट है। यहां पर आप नौकायन का भी आनंद ले सकते हैं।

वृंदावन के अन्य स्थान

उपरोक्त मंदिरों/स्थानों के अलावा कुछ और भी जगहों पर आप जा सकते हैं जैसे- कालिया देह घाट, शाहजी मंदिर, प्रियकांत जू मंदिर, सेवा कुंज आदि।

गोवर्धन (Goverdhan)

गोवर्धन पर्वत परिक्रमा और अन्य स्थान

गोवर्धन शब्द का अर्थ है गायों का पोषण करना।धार्मिक ग्रंथों में वर्णन है की एक बार भयंकर बारिश से मथुरा, वृंदावन,और गोवर्धन के लोगों को बचाने के लिए श्री कृष्ण जी ने गोवर्धन पर्वत को एक सप्ताह तक अपनी अंगुली पर उठाया था। गोवर्धन यात्रा के दौरान आप अनेक मंदिरों और सरोवरों के दर्शन के साथ-साथ गोवर्धन पर्वत की परिक्रमा करते हैं और इस परिक्रमा को जो कि 21 किलोमीटर की होती है करते समय आप अनेक पवित्र स्थानों और मन्दिरों में दर्शन के सौभाग्य प्राप्त करते हैं। ये स्थान इस प्रकार से हैं-

दानघाटी मंदिर-

दानघाटी मंदिर प्रभु श्री कृष्णा और राधा रानी से जुड़ी हुई है इस जगह से गुजरने के लिए लोगों को टोल टैक्स की तरह दान देना पड़ता था

लक्ष्मी नारायण मंदिर-

दान घाटी के सामने श्री लक्ष्मी नारायण जी का एक विशाल मंदिर स्थित है। यहां पर दर्शन से दिव्य पुण्य लाभ प्राप्त होता है।

मानसी गंगा झील-

ऐसा माना जाता है कि राधा रानी और श्री कृष्ण जी इस झील पर नौका विहार करते थे। इसलिए इसे सबसे पवित्र कुंड माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस कुंड में डुबकी लगाने से आपके अपराध और पाप दूर हो जाते हैं।

मुकुट मुखारविंद मंदिर-

इस मंदिर में भक्तगण दूध और पुष्प से पूजा करते हैं अनेक भक्त अपनी गोवर्धन परिक्रमा की शुरुआत इसी स्थान से करते हैं

गोविंद कुंड-

यहां पर देवराज इंद्र ने प्रायश्चित स्वरूप श्री कृष्ण जी की पूजा अर्चना की थी एवं कामधेनु के पवित्र दुग्ध से श्याम सुंदर का अभिषेक किया था

राधा कुंड-

राधा कुंड राधा रानी के पवित्र स्नान स्थल के रूप में जाना जाता है इस कुंड को राधा रानी के नेतृत्व में गोपियों ने अपनी चूड़ियों से धरती को खोलकर बनाया था

श्याम कुंड-

राधा कुंड के पास ही श्याम कुंड भी स्थित है यह भी एक पवित्र कुंड है इसका आकार टेढ़ा मेढ़ा है।

चन्द्र सरोवर-

यहां एक जलाशय, छोटा मंदिर, और कुछ पेड़ हैं।

कुसुम सरोवर-

यह ऐसा सरोवर है जहां पर गोपिया श्री कृष्ण भगवान के लिए फूल चुनती थी। इस कुंड पर घाट और आसपास की संरचनाओं का सुंदरीकरण राजा जवाहर सिंह ने अपने पिता सूरजमल के सम्मान में 1764 ई के आसपास करवाया था।

पूछरी का लौठा बाबा मंदिर-

यह मंदिर राजस्थान की सीमा में आता है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि श्री कृष्ण जी के द्वारिका जाने के बाद, उनके वापस आने की उम्मीद में, यहां पर बैठे उनके एक मित्र से, गोपियां आपस में, एक-दूसरे से यह पूछने को कहती थी कि ‘पूछ री श्री कृष्ण जी लौटे की नहीं’। इसीलिए इस जगह का नाम पड़ गया ‘पूछरी के लौठा’।

गोकुल (Gokul)

गोकुल वह जगह है जहां पर श्री कृष्ण जी के जन्म के तुरंत बाद उनको कंस से बचाने के लिए उनके पिता वासुदेव ने पहुंचाया था।वासुदेव जी गोकुल में नंद और यशोदा के घर पर श्री कृष्ण जी को रख कर और नंद और यशोदा की नवजात कन्या को अपने साथ लेकर वापस मथुरा के कारागार आ गए थे। गोकुल में नंद और यशोदा के घर पर ही श्री कृष्ण जी का बचपन बीता था। श्री कृष्ण जी के बचपन की लीला स्थली भी गोकुल है। गोकुल में भी श्री कृष्ण जी से जुड़े हुए अनेक दर्शनीय स्थल हैं जहाँ आप जाकर दर्शन पूजन कर सकते हैं जो कि निम्नलिखित हैं-

चौरासी खम्भा मंदिर

रमण रेती

चिंता हरण महादेव मंदिर

ब्रम्हांड घाट

बरसाना (Barsana)

बरसाना राधा रानी की नगरी है, यहां पर भी अनेक दर्शनीय मंदिर और दर्शनीय स्थल हैं जहाँ पर आप दर्शन पूजन कर सकते हैं। बरसाना में दर्शनीय स्थलों में निम्नलिखित मुख्य स्थल हैं-

कीर्ति मंदिर

रंगीली महल

राधारानी या लाडली जी का मंदिर

ललिता सखी मंदिर

दोउ मिलन मंदिर

नंदगांव (Nandgaon)

नंदगांव नंदीश्वर पहाड़ी पर स्थित है। यह मथुरा से 56 किलोमीटर और बरसाना से लगभग 9 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नंदगांव श्रीकृष्ण जी के पालक पिता नंद जी का निवास स्थान था। यहां पर श्रीकृष्ण जी का बचपन बीता था। यहां पर आपके देखने और दर्शन पूजन के लायक अनेक स्थान हैं जो इस प्रकार से हैं-

नंद भवन

नंद राय मंदिर

शनि मंदिर

नंदीश्वर मंदिर

पावन सरोवर

भजन कुटीर सनातन गोस्वामी

मोती कुंड

नरसिंह और वराह मंदिर

यशोदा कुंड

चरण पहरी

वृंदा कुंड गुप्तकुंड

ललिता कुंड

निष्कर्ष

इस प्रकार उपरोक्त पंक्तियों में हम लोगों ने 2025 में मथुरा और वृन्दावन में आप कहाँ घूमने जाएँ के बारे में आपको जानकारी देने का विनम्र प्रयास किया है। हमे उम्मीद है कि हमारे इस प्रयास से आप को कुछ जानकारी अवश्य मिली होगी। इन सभी स्थानों पर घूमने के लिए आप 4 या 5 दिन की प्लानिंग कर के आएं तो आप अच्छी तरह से सभी जगहों पर घूम लेंगे।

आभार- इस लेख को लिखते समय हम लोगों ने सोशल मीडिया पर उपलब्ध तथ्यों का उपयोग किया है। जिन-जिन वेबसाइटों और चैनलों से हमने जानकारी लिया है उनके प्रति हम अपना आभार व्यक्त करते हैं। …..धन्यवाद।

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